आंखें थकान के मारे बंद हुई जा रही थी, कि मुझे चूत में फिर से अंगारा सा घुसता महसूस हुआ।
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ख्यालों से गुज़र्कर कभी वो मेरे दिल पे दस्तक देता है निगाहे चुराके भी वो मेरे नज़रों मे समाता है कुछ कहना था शायद उसको फिर भी होंट है सिले हुए कदम बडाता है वो धीरे से पास आता है एक झोंके कि तरह एक अंगारा सा है सीने मे फिर भी साँसे हल्के है ए अजनबी तुम कौन हो.....